कितनी अजीब सी बात है। कहते हैं कि काव्य कवि के हृदय से निकलता है। अगर कोई जबरदस्ती कविता करना चाहे तो या तो कविता बनेगी नहीं या फिर बनेगी भी तो लिखने बैठो दुखान्त काव्य और ब्यंग काव्य बनकर रह जाये।
मेरी इन चार लाइनों के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। मेरे एक मित्र नें शाम को मुझे फोन किया और कहा , कल मुझे एक सेमिनार में बेटी बचाओ विषय पर बोलना है, कैसे भी करके तुम मुझे रातभर में कुछ लिखकर दो कि मैं वहां शर्मिन्दा न होउं।
मरता क्या न करता मैं भी लिखने बैठ गया और रात लगभग एक बजे मन कुछ चार लाइनें आ ही गर्इं। अब दोस्त ने तो अपना काम चला लिया इनसे पर सच्ची परख तो मेरा ब्लागर परिवा ही करेगा न। अत: सोचा आप लोगों को दिखाउं ।।
है तो जबरदस्ती की रचना पर अगर गलती से अच्छी लग जाए तो जरूर बताइयेगा।
आपका - आनन्द
नारी सम्मान का विषय हमारे भारत में, आज का विषय नहीं है सदियों पुराना है
गौर करें लोग नारी के स्वरूप जननी का, जिससे ही जनमा समाज क्या जमाना है ।।
नारी माता लक्ष्मी औ शक्ति भी तो नारी ही हैं, जिनके नियम व्रत का चलन पुराना है
गोंद में पले हैं जिनकी वो धरा भी नारी ही है, जिनमें ''आनन्द'' अन्त हमें मिल जाना है।।1।।
कौन बन जननी दुलारे हमें और कहो, भगिनी का प्यार भला और कहां पाएंगे
बनी संगिनी समेटे कौन दु:ख जीवन के, कन्यादान पुण्य से भी रीते रह जाएंगे ।।
रूप रख विविध बनाये स्वर्ग जीवन जो, उनकी कमी को कैसे पूरी कर पाएंगे
ऐ समाज ! जाग, सुन, नारी के बिना ''आनन्द'' सभ्यता की कल्पना भी कैसे कर पाएंगे।।2।।
।।काव्य की विधा घनाक्षरी है।।
NARI KA SAMMAAN HUMARE HAMESH HOTA THA AUR HAMESH HOTA RAHEGA
ردحذفनारी माता लक्ष्मी औ शक्ति भी तो नारी ही हैं
ردحذفनारी का सम्मान ही सच्ची इंसानियत है /अच्छी गहन, मनन, चिंतन से उपजी विवेचना की प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / अच्छा सोचना अच्छी बात है /
ردحذفबहुत अच्छे..बढ़िया निभाया धनाक्षरी में.
ردحذف@ आनंद भाई
ردحذفये बहुत ख़ुशी की बात है की चलो किसी ने तो कहा की हां मैं इन शंकाओं का समाधान करना चाहूंगा और आपकी इस बात के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और आपको वादा करता हूँ की आप इनका जो भी समाधान देंगे उन्हें मैं अपने blog पर हुबहू प्रस्तुत करूंगा .
आपकी या किसी की भी भावनाओं को आहत करना मेरा मकसद बिलकुल नहीं है.मैं बस चाहता हूँ की किसी भी धर्म में जो गलत परम्पराएं हैं वो दूर हों क्योंकि वे आज बहुत से लोगों के जीवन के लिए अभिशाप बनी हुईं हैं .मैं आपको जल्दी से जल्दी आपके दिए हुए e -mail पर वे शंकाएं भेजूंगा और आपसे जल्द से जल्द समाधान की आशा करता हूँ ताकि उसे जल्द से जल्द अपने blog पर डाल सकूं
मुझे इस बात का गहरा दुःख है की मेरे उस लेख से आपकी भावनाएं आहत हुईं.इसके लिए मुझे माफ़ करें .लेकिन एक बात ध्यान रखें "Criticism " को गलत अर्थों में नहीं लेना चाहिए .वो हमारी भलाई के लिए ही होता है.कई दवाइयां कडवी होती हैं लेकिन उनका असर हमारी भलाई ही करता है .एक बार फिर से मुझे माफ़ करें लेकिन मेरा प्रयोजन वो बिलकुल नहीं था जो आप समझ बैठे .
आप मेरे blog पर आये, अपने मन की बातें बहुत ही इमानदारी और शालीनता से रखीं, इसके लिए आपका बहुत-२ धन्यवाद .आगे भी आते रहें ,मुझे लगता है की मुझे आप जैसे अच्छे लोगों की मुझे बहुत आवश्यकता है .
धन्यवाद
महक
إرسال تعليق