मुझे ब्‍लागजगत पर लिखते त‍था चिट्ठे पढते हुए काफी समय हो गया। इस दौरान मैने लगभग हर भाषा में ब्‍लाग देखे तथा उनमें से जो पढ सकता था पढा भी।
किन्‍तु अबतक मुझे कोई भी ब्‍लाग ऐसा नहीं मिला जो पूर्णतया संस्‍कृत में हो।  हां कुछ ब्‍लाग आंशिक रूप से संस्‍कृत में जरूर मिले जिनमें बहुत महत्‍वपूर्ण सामाग्रियां भी प्राप्‍त हुईं।  कुछ में अच्‍छे मन्‍त्रों का संकलन मिला तो कुछ में मंगल श्‍लोक प्राप्‍त हुए। मगर इसके बावजूद भी कोई भी ब्‍लाग ऐसा नहीं मिला जिसके लेखन का माध्‍यम भी संस्‍कृत ही हो तथा सामाग्रियां भी संस्‍कृत में ही हो जैसा कि हिन्‍दी ब्‍लाग, अंग्रेजी ब्‍लाग तथा अन्‍य भाषाओं के ब्‍लागों पर है।
यह सोंचकर बहुत ही क्‍लेश हुआ। ऐसा नहीं है कि हमारे समाज में या हमारे ब्‍लाग परिवार में कोई भी संस्‍कृत का ज्ञाता नहीं है। मैने अपने ब्‍लाग पर जिनकी प्रतिक्रियाएं प्राप्‍त की हैं उनमें से अधिकांश ने संस्‍कृत में ही टिप्‍पणियां दी हैं जिससे लगता है कि संस्‍कृत में लिख सकने वालों की भी कमी नहीं है। पर फिर भी संस्‍कृत के विषय में इतनी उदासीनता क्‍यूं है यह बात मेरी समझ में अबतक नहीं आ पा रही है।

      खैर जो भी हो , विद्वानों की बातें तो विद्वान ही जानें । मैं तो एक अदना सा व्‍यक्ति हूं जो संस्‍कृत के प्रति अगाध श्रद्धा रखता है त‍था थोडा सा ज्ञान भी किन्‍तु ये ज्ञान इतना अल्‍प है कि विदुषों की नजर से बच नहीं सकता। पर फिर भी इनके हृदय की विशालता तो देखिये , मुझ जैसे अल्‍पज्ञ का उत्‍साह बढाने में कोई भी कमी नहीं रखी है।

        मैं आप सबका आभारी हूं जिन्‍होंने संस्‍कृत के पहले ब्‍लाग को इतना अधिक प्‍यार दिया कि मुझे संस्‍कृत का भविष्‍य अभी से उज्‍ज्‍वल दिखने लगा है।
आशा है आप सब का प्‍यार यूं ही मिलता रहेगा जिससे मेरी संस्‍कृत विषयक श्रद्धा तथा संस्‍‍कृत भाषा को जनभाषा बनाने के प्रयास को गति तथा दिशा मिलेगी।
      आप लोगों को आमन्त्रित करता हूं संस्‍कृत भाषा के पहले ब्‍लाग पर। http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ इस लिंक पर क्लिक करके संस्‍कृत के पुनरूत्‍थान में कृपया अपना थोडा सा सहयोग दीजिये।
           इस ब्‍लाग के विषय में टिप्‍पणियों द्वारा अपने विचारों से अवगत करायेंगे तो मेरे इस प्रयास को और भी बल मिलेगा।

आपकी श्रद्धा एवं सहयोग के लिये धन्‍यवाद

आपका आनन्‍द

3 تعليقات

  1. आपके इस सुन्दर और संदेशात्मक रचना की जितनी तारीफ की जाय कम है / आपके इस प्रयास के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /

    ردحذف

إرسال تعليق

أحدث أقدم