मेरी इस कविता में कुछ विशेष बातें हैं जो इसे बहुत खास न होते हुए भी खास बना देती है।
पहली बात, इस कविता में मैने हिन्‍दी के शब्‍दों का प्रयोग बहुतायत में किया है । दूसरी बात जो बहुत खास है वो ये कि मेरी इस रचना में उस शक्‍स का नाम छुपा हुआ है जिसके लिये मैने ये कविता लिखी है। इस कारण से यह रचना अन्‍य रचनाओं में मुझे अधिक प्रिय है। पढकर बताइयेगा कैसी लगी और अगर नाम ढूढ पाये तो वो भी बताइयेगा।
               आनन्‍द

मंजिलें सब मिल गईं अब उनको पा जाने के बाद
जब मिले वो, हो गई पूरी मेरी हर इक मुराद।।

रीझ कर हमसे वो बोले एक दिन, सुनते हो जी!
आज आना पास मेरे सांझ ढल जाने के बाद।।

नंदनवन सा खिल उठा मेरा दिले बीमार जब
दर मेरे भी आया सावन पातझर  जाने के बाद।।

बिक गये हम उनके हांथों, कितने है हम खुशनसीब
क्‍यूं न खुश हों उनके हांथों में चले जाने के बाद।।

कीजिये आराम, हमने आज दिल से कह दिया
विरह के अब दिन गये मौसम बदल जाने के बाद।।

वेणु सी आवाज मीठी है मेरे दिलदार की
कर गये बेहोश हमको होश में लाने के बाद।।

6 تعليقات

  1. लखनवी अन्दाज़ ही कुछ और है!

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    गुलाबी कोंपलें

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  2. वेणु सी आवाज मीठी है मेरे दिलदार की
    कर गये बेहोश हमको होश में लाने के बाद।।

    कुछ लिखा ही ना गया इसे पढने के बाद !!!!

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  3. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  4. मजा आ गया पढ कर..सुन्दर रचना..

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