वो जो कि प्‍यार की बातें बघारा करते हैं
वही दुर्दिन पडे पहले किनारा करते हैं ।।

हमने अक्‍सर है देखी आदतें हसीनों की
मुस्‍कुरा कर दिले दावत-नकारा करते हैं ।।

वो हमको खास दुश्‍मन की अदा फरमाते हैं
मगर फिर भी मेरे दिल में गुजारा करते हैं ।।

ये नामाकूल दुनिया समझे क्‍या जजबात मेरे
जो सिर पे बैठकर के लात मारा करते हैं ।।

चले अब छोड के 'आनन्‍द' ये आबाद शहर
के वीराने हमें अब भी पुकारा करते हैं ।।

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2 تعليقات

  1. चले अब छोड़ के आनंद ये आबाद शहर
    के वीराने हमें अब भी पुकारा करते हैं।

    एक अच्छी ग़ज़ल का सबसे अच्छा शेर...बधाई।

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  2. हमने अक्‍सर है देखी आदतें हसीनों की
    मुस्‍कुरा कर दिले दावत-नकारा करते हैं ।।

    बहुत अच्छे आनंद जी

    ردحذف

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