होली मतवाला ( हरि कँ बिसराय )
हरि कँ बिसराय , काहें फिरे तूँ भुलाना ।।
सुन्दर देहियाँ से नेहिया लगाया
डहँकि डहँकि धन सम्पति कमाया
तबहूँ न कबहुँ सुखी होई पाया , भूल्या तूँ कौल पुराना
कोई साथ न जाय , भूल्या तूँ कौल पुराना ।।
श्रृंगीऋषि आश्रम कै चेता डगरिया
छोडि छाडि माया कै बजरिया
प्रभु के नाम कै तूँ ओढा चदरिया जो जीवन है सफल बनाना
इहै साँचा उपाय जीवन है सफल बनाना ।।
إرسال تعليق