तू हिन्दू है तुझे यदि हिन्दु होने पर शरम आए
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

करोड़ों साल का गौरवमयी इतिहास बिसराये 
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

आज फिर भारती माँ को सपूतों की जरूरत है 
शिवा राणा की तू सन्तान यदि संकट से घबराए 
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

वो कहते हैं लहू दे-देके सींचा है वतन हमनें 
मगर किसके लहू से, बात न हरगिज कही जाए 
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

मशालें मजहबी बरसा रहीं शोले तेरे घर पर
जले भारत तू चादर तान कर चुपचाप सो जाए
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

भले मासूम भोले हों, उन्होंने देश फूँका है
हुए नुकसान की उनसे वसूली भी न की जाए 
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

अगर हिन्दोस्तां से प्यार है तो क्यूँ नहीं दिखता
जुलूसों में वही नारे, हरे झण्डे ही लहरायें
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

कभी तारीख में हमने किसी पर कब किया हमला
हमें फिर भी अगर सद्भावना की सीख दी जाए 
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

बड़े अर्से से अलसायी कलम "आनन्द" की चुप थी
जो ऐसे हाल में यह आज भी खामोश रह जाए
तो लानत है, तो लानत है हजारों बार लानत है ।।

डॉ. विवेकानन्द पाण्डेय
(आनन्द अवधी)

Post a Comment

और नया पुराने