सुगना टेरी-टेरी राधा रमण को रिझा ले
सबकी सुनें वो सुनेंगे तुम्हारी
मेटें करम गति कृष्ण मुरारी
जैसे पुकारी तरी गडिका सी नारी
की वैसै तू बिगड़ी बना ले
करिहैं नाहि देरी
करिहैं नाहि देरी
जन्मों की बिगड़ी बना ले
सुगना टेरी-टेरी राधा रमण को रिझा ले




माया भवर उलझी तेरी नैया
बिन गोपाल न कोई खिवैया
सब दुःख हरिहैं यशोदा के छैया
कि  उनको चरण पड़ी मना ले
माया जेकै चेरि
माया जेकै चेरि


उनको शरण पड़ी मना ले
सुगना टेरी-टेरी राधा रमण को रिझा ले








अनिरुद्ध मुनि पाण्डेय 'आर्त'

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