हर पल फुहार प्रेम का झरता है जो दिल पर
यारों उसी फुहार का है नाम दोस्ती...
जो दूर कितने ही हों पर, दिल में पनपती है
बंधन अटूट प्यार का है नाम दोस्ती
ये द्वेष रहित प्रेम भरे सैकड़ों पुष्पों
की एक बनी हार का है नाम दोस्ती
जिस मिलन की रुत में सभी लोगों के दिल मिलें
उस मौसमी बहार का है नाम दोस्ती
कहता "आनंद" कुछ नहीं संसार में ऐ दोस्त
बस तेरे मेरे प्यार का है नाम दोस्ती
है दोस्ती इंसान का भगवान् से मिलन
उस सांवले सरकार का है नाम दोस्ती
bahut acchi lagi gazal.
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज
good
जवाब देंहटाएंbahut khub
achi gazal he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
विवेकानंद जी
जवाब देंहटाएंमैंने आपकी पिछली पोस्ट भी पढ़ी है आप बढ़िया लिखते हैं भाव और कहन दोनों बढ़िया है मगर आप अगर इस रचना को गजल कह रहे हैं तो गलती कर रहे है
गजल लिखने के लिए रदीफ काफिया बहर आदि के लुछ नियम होते है बिना उन्हें निभाए गजल नहीं कही जा सकती
निवेदन है आप किन्ही अच्छे शायर से इसकी जानकारी लें
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंप्रिय सत्य जी
जवाब देंहटाएंआपके सुझाव के लिए धन्यवाद
वस्तुतः मैंने भूल से कविता की जगह ग़ज़ल का प्रयोग कर दिया था ,,
निवेदन है
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