मेरी ये रचना उन दोस्तों को समर्पित है जिन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी किसी से प्यार किया है और किसी कारण वश उनको अपने प्यार से दूर हो जाना पडा
उनको भी समर्पित है जिन्होंने प्यार भले न किया हो पर प्यार करने वालों का सम्मान दिया है
और उनको भी समर्पित है जो प्यार का मतलब जानते हैं
इश्क का भूत जब बीमार के सिर चढता है
खयालों के खिलौने आशिके दिल गढता है
बिना इबादत किये ही फकीर बन जाता है
माशाअल्लाह । निगाहें यार की जो पढता है
घूट जामे मोहब्बत की चखी हमने है हुजूर
जितनी थोडी सी पियो उतना नशा चढता है
जमाना अपना भी था साथ जब वो थे मेरे
छोडो, अब बीती बातें कौन याद करता है
बन गये आज जिन्दा लाश उनकी ठोकर से
चोट कोई करे कितनी, क्या फरक पडता है
पास आने को उनसे हो गये हम उनसे दूर
सुना था हमने कि दूरी से प्यार बढता है ।।
ये रचना आपको कैसी लगी ये जरूर बताइयेगा
आपके प्रोत्साहन से मेरी कलम की ताकत बढती है
आप सभी को बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
ردحذفप्यार के चक्कर में कभी पड़े तो नहीं फिर भी दुस्साहस करके रचना पढ़ ली। अच्छी है। ऐसे ही लिखते रहें।
ردحذفबन गये आज जिन्दा लाश उनकी ठोकर से
ردحذفचोट कोई करे कितनी, क्या फरक पडता है
पास आने को उनसे हो गये हम उनसे दूर
सुना था हमने कि दूरी से प्यार बढता है ।।
in panktoyon ne dil jeet liya bahut khoob...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
यू ही लिखते रहें . शुभकामनाएं
ردحذفअजय कुमार झा
बहुत ही भावपूर्ण रचना.. शुभकामनाएं !!!
ردحذفजमाना अपना भी था साथ जब वो थे मेरे
ردحذفछोडो, अब बीती बातें कौन याद करता है
....bilkul sahi.... beeti jahi bisar de, aage kee sudh ley...... never let your past interfere of present day life.....
Nirantar likhte rehiye. hamari shubhkamnayne.
जमाना अपना भी था साथ जब वो थे मेरे
ردحذفछोडो, अब बीती बातें कौन याद करता है
....bilkul sahi.... beeti jahi bisar de, aage kee sudh ley...... never let your past interfere of present day life.....
Nirantar likhte rehiye. hamari shubhkamnayne.
bahut khub
ردحذفbadhiyan laga
जमाना अपना भी था साथ जब वो थे मेरे
ردحذفछोडो, अब बीती बातें कौन याद करता है
बन गये आज जिन्दा लाश उनकी ठोकर से
चोट कोई करे कितनी, क्या फरक पडता है
जमाना अपना भी था साथ जब वो थे मेरे
ردحذفछोडो, अब बीती बातें कौन याद करता है
बन गये आज जिन्दा लाश उनकी ठोकर से
चोट कोई करे कितनी, क्या फरक पडता है
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