कवि आर्त का बलिदानी वीरों हेतु समर्पित यह सुन्‍दर काव्‍य आप सब के समक्ष प्रस्‍तुत करते हुए हार्दिक शान्ति प्राप्‍त कर रहा हूं ।
इसी बहाने अपने देश के कर्णधारों को प्रतिदिन याद कर लिया करता हूं, यही हमारी उन वीर पूर्वजों को श्रद्धान्‍जलि है ।
जय हिन्‍द ।।

बढो वीर निज भुजबल तोलो ऐसा फिर न होने पाए
आपस का ये द्वेष तुम्हारा देश को न गुलाम कर जाए ।।

जिन अरमानों को लेकर लाखों वीरों ने प्राण गवाये
असह्य कष्‍ट सहकर भी हंसकर बैरी सम्‍मुख शीश कटाये
उन पुनीत भावों के उर में क्यों स्‍वारथ के शूल चुभाये ।।
आपस का ये द्वेष तुम्हारा देश को न गुलाम कर जाए ।।

बलिदानी वीरों को रखना याद ये है कर्तव्‍य तुम्‍हारा
जिन्होने अपनी भारत मॉं को गोरों के अंकुश से उबारा
कोई विदेशी क्रूर न फिर से हरिभक्‍तों पर हुक्‍म चलाये ।।
आपस का ये द्वेष तुम्हारा देश को न गुलाम कर जाए ।।

खुदीराम, बलवन्‍त, भगतसिंह, सावरकर, आजाद सयाने
मचल उठे सुखदेव, राजगुरू मातृभूमि को शीश चढाने
तु कृतघ्‍न क्‍यूं लाल, बाल, शास्‍त्री जी के उपकार भुलाये ।।
आपस का ये द्वेष तुम्हारा देश को न गुलाम कर जाए ।।

रामकृष्‍ण, गौतम की धरती बच्चों का आह्वान कर रही
देखो फिर न पराश्रित हों हम सोंच हृदय में आह भर रही
यत्‍न करो अपना ये तिरंगा युग-युग अम्‍बर तक लहराये ।।
आपस का ये द्वेष तुम्हारा देश को न गुलाम कर जाए ।।

कवि आर्त कृत नीराजन भजन संग्रह से साभार गृहीत

3 टिप्पणियाँ

  1. मेरे भाई लगता है आज सब देशभक्त दिल्ली में हैं वलाग मिलन के लिए इसलिए देशहित की कबिता को पढ़ने वाला कोई नहीं

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  2. "खुदीराम, बलवन्‍त, भगतसिंह, सावरकर, आजाद सयाने
    मचल उठे सुखदेव, राजगुरू मातृभूमि को शीश चढाने
    तु कृतघ्‍न क्‍यूं लाल, बाल, शास्‍त्री जी के उपकार भुलाये ।।
    आपस का ये द्वेष तुम्हारा देश को न गुलाम कर जाए ।।"

    जरा बताएँगे बंधु ये अंकल किस-किस प्रांत के रहने वाले थे ?????
    पहले अपने प्रान्त का झंडा तो बुलंद कर लें तिरंगा तो देखा जायेगा !!!!!!!!!!!!!11

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  3. बहुत सुन्दर रचना!
    कवि आर्त को हार्दिक बधाई!

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