अन्‍तत: इन्‍सान हैं हम......                                ०१/०१/१२

सृष्टिकर्ता की अनूपम कृति, अमित क्षमता समाहित
धरा-नभ-पाताल में गतिमान नित परहित समर्पित
उदयगिरि पर सूर्य सम अविरल सतत उत्‍थानरत, पर
प्रकृति के शत सहज दुर्बलताओं की पहचान हैं हम ........
अन्‍तत: इन्‍सान हैं हम ।।
साहसी इतने कि हिमगिरि में भी पथ आसान कर दें
उद्यमी ऐसे कि सागर-मध्‍य गृहनिर्माण कर दें
परहितार्थ अगस्त्‍य सम नि:शेष सागरपान कर लें
विश्‍व में सुख-शान्ति के रक्षार्थ तन बलिदान कर दें
विविधगुण-गण-निलय, तदपि यथार्थ से अनजान हैं हम .........
अन्‍तत: इन्‍सान हैं हम ।।
राष्‍ट्र-हित बनकर प्रताप, शिवा लिखें गौरव कहानी
लोक-मंगल हेतु नित तत्‍पर रहें मन-कर्म-बानी
मार्ग मम अनिरुद्ध ज्‍यों पावस में हो दरिया तूफानी
शौर्य वह आजाद का जिसने कभी न हार मानी
धरा पर उस परम सत्‍ता की सजग सन्‍तान हैं हम ............
अन्‍तत: इन्‍सान हैं हम ।।
उटज से बढता चला नभयान तक उपक्रम हमारा
ज्ञान और विज्ञान से मापा है ये ब्रह्माण्‍ड सारा
किया सतत-प्रयास हमनें  मोडने को युग की धारा
लब्धि अनगिन, पर रहा चिर-क्षुधित मन बेबस बेचारा
इस निरापद-प्रगति के आधारहीन वितान हैं हम.............
अन्‍तत: इन्‍सान हैं हम ।।
बालपन से ही फिसलकर सम्‍भलना जग ने सिखाया
कपट-स्‍वार्थ मदान्‍धता का पंथ अपनो ने दिखाया
तृषित अन्‍त:-करण को अबतक न मिल पाया अभीप्सित
निशा-अंचल में भी मन नित रहा क्षुब्‍ध, अशान्‍त, चिन्तित
स्‍वयं के अवनति-प्रगति का दर्दमय आख्‍यान हैं हम ............
अन्‍तत: इन्‍सान हैं हम ।।
हम मनुज, दौर्बल्‍य के पुतले, तनिक में फूलते हैं
गर्व-गिरि आरूढ हो, अपना-पराया भूलते हैं
अनिरुद्धमुनि पाण्‍डेय ‘आर्त’
शाखा प्रबन्‍धक, ब.उ.प. ग्रा. बैंक, किछौछा
 अम्‍बेडकरनगर
http://www.kavyam.co.in/
 
श्‍वाँस की पूँजी हमारी नियति नि‍ष्‍ठुर की धरोहर
तदपि नित्‍य प्रपंच-रत पातक-हिण्‍डोले झूलते हैं
वेदनामय ‘आर्त’ के मुख की मलिन मुस्‍कान हैं हम .............
अन्‍तत: इन्‍सान हैं हम ।।

अनिरुद्धमुनि पाण्‍डेय ‘आर्त’
शाखा प्रबन्‍धक, ब.उ.प. ग्रा. बैंक, किछौछा
 अम्‍बेडकरनगर
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