नववर्ष मंगलमय हो .................             

कह विदा इक आब्‍द बीता, आ गया नव वर्ष फिरसे
कुछ नयन हर्षित, निमीलित कुछ हुए, कुछ नीर बरसे
कुछ मिले, मिलने चले अपनो से, कुछ मिलने को तरसे
वर्ष ये शुभ हो सभी का प्रार्थना करते हैं हरि से ।।

राजनीति-कुनीति का अब हर तरफ साम्राज्‍य छाया
काल की गति, कलि प्रभाव अपार या विधि की है माया
सुख-सुवास सराग उपवन, त्‍यक्‍त सा अब क्‍यूँ भ्रमर से ।।
वर्ष ये शुभ हो सभी का प्रार्थना करते हैं हरि से ।।

चतुर्दिक आतंक प्रसरित, भारती माँ अश्रुदृक् हैं
बद्धकर, धर मौन, किंकरवत खडे यजु, साम, ऋक् हैं
छिन्‍न-भिन्‍न-उच्छिन्‍न अघ-तम करें मख ज्‍वाला प्रखर से ।।
वर्ष ये शुभ हो सभी का प्रार्थना करते हैं हरि से ।।

प्रगति गिरि आरूढ हों पर संस्‍कृति अपनी न भूलें
कर से कर, कन्‍धे से कन्‍धा एक कर आकाश छू लें
राष्‍ट्रहित, कस कमर अपनी, कफन बाँधें अपने सिर से ।।
वर्ष ये शुभ हो सभी का प्रार्थना करते हैं हरि से ।।

धिक ! धरा धिक्‍कारती, धन, धर्म, धैर्य सभी गँवाया
सुप्‍त सकल समाज शय्या त्‍याग कब रण हेतु आया
ईश ! ‘आनन्‍द‘धाम ! तारो आर्त भारत को भँवर से ।।
वर्ष ये शुभ हो सभी का प्रार्थना करते हैं हरि से ।।

विवेकानन्‍द पाण्‍डेय (आनन्‍द)
प्रमुख-संस्‍कृतजगत्
संस्‍कृतप्रवक्‍ता - श्रीमती सत्‍यवतीदेवी इन्‍स्‍टीच्‍यूट
ऑफ एजुकेशन एण्‍ड टेक्‍नोलॉजी
http://www.sanskritjagat.com/

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