मित्रों
होली बिलकुल सन्निकट ही है । इस मौसम में सबसे अधिक जो वस्तु प्रचलित है वह है फाग गीत तथा मनहरवा (मतवाला) । इस मामले में फैजाबाद जिला (उत्तरप्रदेश) काफी समृद्ध है । फाग विधा के प्रसिद्ध कविराज स्व. श्री रामराज जी, कवि स्व. श्री रामउजागिर पाण्डेय जी, स्व. कविवर श्री श्याम जी, कविश्रेष्ठ श्री पुष्प जी, कविवर श्री अनिरुद्धमुनि पाण्डेय 'आर्त' आदि फागविधा के श्रेष्ठ कवि इसी फैजाबाद जिले की देन हैं । इन कवियों का फाग विधा में कोई सानी नहीं है । इन कवियों में रामराज जी, रामउजागिर जी तथा कविवर श्याम जी तो इस धरा धाम को त्याग चुके हैं, पुष्प जी अत्यन्त वृद्ध हो जाने के कारण गायन में सक्षम नहीं रहे तथा अन्य कुछ कवियों के नाम व रचनाएँ तो प्राप्त होती हैं किन्तु उनके विषय में अत्यधिक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी ।
इन सभी कवियों के प्रतिनिधि कवि सम्प्रति कवि आर्त ही हैं जो इनके काव्यों का गायन, तथा प्रसार करते रहते हैं । यहाँ नीचे के वीडियो चित्रों में कवि आर्त विभिन्न मुद्राओं में दिखाई दे रहे हैं । ये वीडियोज काफी पुराने हैं, इन्हें हमने हाल ही में प्राप्त कर यूट्यूब पर अपलोड किया । इनमें कवि आर्त अपनी व उपर्युक्त अन्य कवियों की कुछ रचनाएँ सुनाते हुए दिखाई दे रहे हैं ।
होली फाग- भीष्मप्रतिज्ञा होली मतवाला - काहे फिरे तू भुलाना
कवि आर्त के गाँव में होली के अवसर पर फागगायन वर्ष 2012 - कवि आर्त के ग्राम ईशापुर में फागप्रारम्भ
ये समस्त गीत कवि आर्त के ग्राम क्षेत्र ईसापुर में विभिन्न अवसरों पर गाये गये हैं । सबसे अंतिम वीडियो इस वर्ष का है, जिसमें कवि आर्त एवं उनके संकीर्तनमण्डल के कुछ युवा सदस्यों द्वारा फागगायन प्रस्तुत किया जा रहा है ।
होली बिलकुल सन्निकट ही है । इस मौसम में सबसे अधिक जो वस्तु प्रचलित है वह है फाग गीत तथा मनहरवा (मतवाला) । इस मामले में फैजाबाद जिला (उत्तरप्रदेश) काफी समृद्ध है । फाग विधा के प्रसिद्ध कविराज स्व. श्री रामराज जी, कवि स्व. श्री रामउजागिर पाण्डेय जी, स्व. कविवर श्री श्याम जी, कविश्रेष्ठ श्री पुष्प जी, कविवर श्री अनिरुद्धमुनि पाण्डेय 'आर्त' आदि फागविधा के श्रेष्ठ कवि इसी फैजाबाद जिले की देन हैं । इन कवियों का फाग विधा में कोई सानी नहीं है । इन कवियों में रामराज जी, रामउजागिर जी तथा कविवर श्याम जी तो इस धरा धाम को त्याग चुके हैं, पुष्प जी अत्यन्त वृद्ध हो जाने के कारण गायन में सक्षम नहीं रहे तथा अन्य कुछ कवियों के नाम व रचनाएँ तो प्राप्त होती हैं किन्तु उनके विषय में अत्यधिक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी ।
इन सभी कवियों के प्रतिनिधि कवि सम्प्रति कवि आर्त ही हैं जो इनके काव्यों का गायन, तथा प्रसार करते रहते हैं । यहाँ नीचे के वीडियो चित्रों में कवि आर्त विभिन्न मुद्राओं में दिखाई दे रहे हैं । ये वीडियोज काफी पुराने हैं, इन्हें हमने हाल ही में प्राप्त कर यूट्यूब पर अपलोड किया । इनमें कवि आर्त अपनी व उपर्युक्त अन्य कवियों की कुछ रचनाएँ सुनाते हुए दिखाई दे रहे हैं ।
होली फाग- भीष्मप्रतिज्ञा होली मतवाला - काहे फिरे तू भुलाना
कवि आर्त के गाँव में होली के अवसर पर फागगायन वर्ष 2012 - कवि आर्त के ग्राम ईशापुर में फागप्रारम्भ
ये समस्त गीत कवि आर्त के ग्राम क्षेत्र ईसापुर में विभिन्न अवसरों पर गाये गये हैं । सबसे अंतिम वीडियो इस वर्ष का है, जिसमें कवि आर्त एवं उनके संकीर्तनमण्डल के कुछ युवा सदस्यों द्वारा फागगायन प्रस्तुत किया जा रहा है ।
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