मैने ये गजल उस समय लिखी थी जब कि मैं बडे ही मानसिक दुविधा में रहा करता था।
कदाचित ये बताने की आवश्यकता नही है कि वह मानसिक परेशानी कौन सी बात पर थी।
हां सो मैने भी अपने दिल के गुबार कागज पर उडेल दिये और वह जहर ही इस गजल के रूप में प्रकट हो गर्इ।
टिप्पणियां दीजियेगा कि मै समझ सकूं कि ये गजल कैसी है।
आपका - आनन्द
ये गजल नहीं हैं मेरे आंसू हैं
दर्दे दिल की मेरे आवाज है ।।
मेरी बरबादियों के मंजर का
बडा अजीब सा आगाज है ।।
बिगड जाती है बात सब अपनी
अपना कुछ अलग ही अंदाज है ।।
गुबार कितना भरा है दिल में
न पूंछिये, ये गहरा राज है ।।
छोड दो आज हमें तनहा ऐ दोस्त !
आज तबियत बडी नाशाद है ।।
तोड देता है दिल बेदर्दी से
बडा जालिम मेरा हमराज है ।।
खुश है अब दूर होके वो हमसे
उसकी दुनिया बडी आबाद है ।।
मोहब्बत की गजल है ताजमहल
हम मगर आंसूओं के ताज हैं ।।
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ANAND
wow !!!!!!!!
जवाब देंहटाएंbahut khub
shkehar kumawat
wow !!!!!!!!
जवाब देंहटाएंमोहब्बत की गजल है ताजमहल
हम मगर आंसूओं के ताज हैं ।।
bahut khub
shkehar kumawat
bahoot khoob maine bhi aansu par likha hai dekhne aaiyega
जवाब देंहटाएं"तोड देता है दिल बेदर्दी से
जवाब देंहटाएंबडा जालिम मेरा हमराज है ।।
मोहब्बत की गजल है ताजमहल
हम मगर आंसूओं के ताज हैं ।।"
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!शुभकामनाये स्वीकार करें.....
कुंवर जी,
waah maan gaye ustaad...
जवाब देंहटाएंभावनाएं अच्छी हैं ... पर कहीं कहीं पर काफिया टूटा है ... ये शेर अच्छा है ...
जवाब देंहटाएंगुबार कितना भरा है दिल में
न पूंछिये, ये गहरा राज है ।।
tiisra sher bahut khoobsurat raha
जवाब देंहटाएंnice
Har lamha hum marte hain fir jee utthte hain....
जवाब देंहटाएंNar ho na niraash karo mann ko...
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