देश तो बस नेताओं का है  ।।

राजनीति की पंकिल धारा, मध्‍य फंसा ये देश हमारा
नेताओं की ठाट हो रही, धन की बँदरबाँट हो रही
जनता पा सकती न टका है ।।
देश तो बस नेताओं का है  ।।

हर दिन महगाई बढती है , सब जनता के सिर चढती है
हम ठहरे गॉंधी के बूटे, वोट उन्‍हे जो कसकर लूटे
सत्‍याग्रह यूँ ही होता है ।।
देश तो बस नेताओं का है  ।।

जन्‍मभूमि पर बने बाबरी, राम रहें जाकर घर शबरी
ये मुद्दा हर रोज उछलता, इससे वोट बैंक है फलता
घाव पुराना, अब दुखता है ।।
देश तो बस नेताओं का है  ।।

न्‍याय बिक रहा है पैसों पर, धर्म बना खाली आडम्‍बर
टूटे भगत, सुभाष के सपने, चल ''आनन्‍द'' चलें घर अपने
अब इस देश यही होता है ।।
देश तो बस नेताओं का है  ।।

1 टिप्पणियाँ

  1. बुहत ही बढ़िया श्री मान जी ,,,,,,,,अब एक मुद्दे को लेकर हम भी आ रहे है प्रचार करना शुरू कर दिया है चंडीगढ़ से, आप सभी से सहयोग चाहता हूँ,,ताज महल नहीं तेजोमहल, मकबरा नहीं शिवमन्दिर,प्रो ओक़,,,,,,,,,,,,
    http://lovelykankarwal3.blogspot.com/?zx=b1d67d1468e13d3f
    जय हिंद ..जय हिंदी

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने