आजकल फिर से ब्‍लाग जगत पर श्रीरामजन्‍म भूमि की कवायद शुरू हो गई है ।
कुछ बदतमीज तरह के लोग हैं जो इसी की आड में फिर से एक बार अशान्ति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं ।
मैं नहीं जानता हूँ कि इस तरह की टिप्‍पणियाँ और लेखों से इनको क्‍या मिल जाता है किन्‍तु इतना जरूर है कि ये अपनी मानसिक पथभ्रष्‍टता जरूर दिखा देते हैं ।
इनमें कुछ वाचालों का प्रश्‍न अब भगवान श्री रामचन्‍द्र के जन्‍म से सम्‍बन्धित है ।
इनको अब ये जानना है कि राम का जन्‍म कहाँ, कब और कितने बज कर कितने मिनट पर हुआ था ।
कारण कि बाबर का जन्‍मदिन इन्होनें पढ रखा है ।
मतलब ये हुआ कि अगर भगवान राम का जन्‍मदिन नहीं पता है और बाबर का जन्‍मदिन पता है तो बाबर भगवान राम से महान हो गया और उसके द्वारा गिराये गये भगवान राम के मंदिर कोई गलत नहीं हैं, बल्कि उसने ठीक ही किया ।
अब इन बुद्धिहीनों से कोई ये पूँछे कि क्‍या आपको अपने धर्म के देवता या फरिस्‍ते के जन्‍म का ठीक-ठीक पता है ।
अगर पता है तो जरा बताएँ कि वो कब, किस दिन , किस जगह और कितने बजकर कितने मिनट पर पैदा हुए थे ।

भगवान श्रीराम पर प्रश्‍नचिन्‍ह लगाने वाले ये वाचाल जरा ये बताएँ कि क्‍या इन्‍हे अपनी पैदाइशी पर यकीं है ।
क्‍या ये दावे के साथ अपने दादा, बाबा की जन्‍मतिथि बता सकते हैं ।
नहीं
वहाँ भी केवल इनका अनुमान ही चलेगा ।
इस हिसाब से तो लगता है कि कल ये अपने ही माँ-बाप के अस्तित्‍व पर भी प्रश्‍न चिन्‍ह लगा देंगे ।

ये रामायण की लिखी हुई बातें नहीं मानते
मानेंगे भी क्‍यूँ, उससे भगवान श्रीराम की भगवत्‍ता जो सिद्ध होती है ।
अब इनके जो धर्मग्रन्‍थ हैं उनकी लिखी बातें सही हैं इसका क्‍या प्रमाण और क्‍यूँ माना जाए कि इनके धर्मग्रन्‍थ पवित्र हैं और जो लिखा है सब सही लिखा है ।
भाई हमारा धर्मग्रन्‍थ किसने लिखा हमने नहीं देखा तो इनका धर्मग्रन्‍थ लिखते इन्‍होने किसको देख लिया ।


बाबर एक बहुत ही कमीना, घटिया और गिरा हुआ आक्रमणकारी था इससे ज्‍यादा और कुछ नहीं ।
अब वो कब पैदा हुआ, क्‍यूँ पैदा हुआ, पैदा हुआ भी या नहीं इसका क्‍या मतलब बनता है ।

भगवान राम हर साल पैदा होते हैं, चैत्र मास की नवमी तिथि को ।
यह बात पूरा भारत जानता है, भगवान राम पर आधारित हजारों पुस्‍तके लिखी गई हैं ।
और सबसे अहम बात भगवान श्री राम हर हिन्‍दू चाहे वो भारत का हो या विदेश का, के प्राण में बसते हैं ।
और अगर कोई उनके अस्तित्‍व पर प्रश्‍नचिन्‍ह लगाये तो उसका मुँह न तोड दें इतने भी ठंडे खून वाले नहीं हैं हम ।
अभी समय है,
चेतावनी है इन धर्म पर कीचड उछालने वाले कुकर्मियों को, इस तरह के लेख लिखना बंद करें अन्‍यथा जो कहीं श्री राम के चाहने वालों ने कलम उठा ली तो फिर ये पानी माँगते फिरेंगे ।।

3 टिप्पणियाँ

  1. कुछ हद तक गलती पाठकों की भी है कि वे इस तरह के विवादस्पद लेख पढते है. मैंने इस लेख को न तो पढ़ा है और न ही मेरी ऐसे किसी उटपटांग लेख को पढ़ने में कोई रूचि है.
    कविवर हरिओम शरण ने अपनी प्रसिद्द कविता राम मंदिर में कहाँ है " जो तुलना करते है बाबर राम की, उनकी बुद्धि होगी किसी गुलाम की". राम हमारे घाट घाट के भगवान है, राम हमारी भारत की पहचान है, राम हमारी पूजा है अरमान है, राम हमारे अंतर्मन के प्राण है, मंदिर मस्जिद केवल पूजा के सामान है.

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  2. आनंद जी आप कि बातों से पूरी तरह से सहमत. भगवान राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाले ये जयचंद के वंशज राम को ना मानकर बाबर को ही मानेगें

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