ये वीडियो पूर्वी उत्‍तरप्रदेश के मशहूर आल्‍हा गायक श्री रामकिशोर वर्मा जी का है ।
जो इस समय प्राय: बीमार ही रहते हैं ।
अभी हाल ही में वो हमारे घर आये हुए थे , उस समय भी उनका स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍यक नहीं था
किन्‍तु फिर भी सभी ग्रामीणों की इच्‍छा को शिरोधार्य करके उन्‍होने कुछ कहरवा गीत सुनाये ।।
इन्‍ही गीतों में से एक को यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ जो मेरे चलभाष द्वारा रिकार्ड किया गया है ।
रात्रि के समय में गायन के कारण वर्मा जी का बिम्‍ब तो अधिक स्‍पष्‍ट नहीं है किन्‍तु उनकी आवाज ठीक सुनाई दे रही है ।
आल्‍हा गायन के महारथी होने के कारण ही इनकी आवाज की बुलन्‍दी इस कहरवा में चार चाँद लगा देती है ।
गायन के आरम्‍भ में एक मिनेट का वार्तालाप है  ।
गाने के बोल हैं ''मिटि गै बाबर कै निसानी अब कहानी न रही'' ।।

वीडियो में वर्मा जी जमीन पर बैठे हुए हैं, कारण यह है कि हमारे यहाँ पिछले 31 वर्षों से प्रति सप्‍ताहान्‍त रात्रि में संकीर्तन का आयोजन होता है । प्रारम्भिक स्‍तर तो मात्र गाँव के लोगों तक ही सीमित था किन्‍तु समय के साथ साथ लोगों की उपस्थिति भी बढने लगी । जिसके कारण संकीर्तन हमारे घर की बडी दालान में फर्श पर ही दरियाँ बिछा कर की जाती हैं । श्री वर्मा जी की नम्रता ही कहिये कि उन्‍होने आग्रह पूर्वक जमीन पर बैठना स्‍वीकार किया ।
कार्यक्रम में हारमोनियम वादन मशहूर कवि श्री अनिरूद्धमुनि पाण्‍डेय 'आर्त' जी कर रहे हैं ।
श्री राम किशोर जी पर ही पूरा ध्‍यान केन्द्रित होने के कारण इस वीडियो में किसी अन्य का चित्र नहीं लिया जा सका है अत: बाकी लोगों की आवाज मात्र सुनाई  देगी ।।

तो आनन्‍द लीजिये कवियों और गायकों के इस प्‍यारे मिलन का ।।

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