तुहका हेरेव चारिव वारी नाय भेटान्या रसिया
मास अषाढ अयोध्या नगरी हेरेव चारिव वारी
सावन मास सहारन पूर मा एक दिन धावा मारी
भादव मास रैन अधियारी नाय भेटान्या रसिया ।।
क्वार मास काशी मा हेरेव कातिक दिया जलाई
अगहन मास रात दिन खोजेन नाही परै देखाई
पुसवा पूना कै तैयारी नाय भेटान्या रसिया ।।
माघ मास मदरास में गइले जाडा बहुत सताई
फागुन फरूक्खाबाद में आये रहि रहि जिया घबडाई
चैत मा चन्डीगढ सिधारी नाय भेटान्या रसिया ।।
लाग मास वैशाख त सीधै बम्बई नगर सिधारी
कीन्ह तैयारी जेठ के तपतै जिला जौनपुर जारी
भरि भरि बहै नयन से वारी नाय भेटान्या रसिया ।।
बारह मास खोज भगवन का हमतौ गइलेन हारी
फैजाबाद से होइकै लौटेन डिहवा गाँव मझारी
अपने मन मन्दिर माँ खोजेन तबै भेटान्या रसिया ।।
ये कहरवा गीत वर्तमान अम्बेडकर नगर के डिहवा गाँव के निवासी स्व. श्री नन्दकिशोर जी द्वारा रचित है ।
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