तुम हो अनजान के हम तुमसे प्‍यार कर रहे हैं
मौत क्‍या मारेगी हम जिंदगी से मर रहे हैं  ।।

बडे अधियारा  हैं इस राह में मगर देखो
घने अंधेरे में जुगनू हजार जल रहे हैं  ।।

कोई समझाए ये ‘आनन्‍द’ परेशान क्‍यूँ है
अभी तो आशा के दिये से किरण निकल रहे हैं  ।।

वो तो नाजुक हैं दिल के मान जाएंगे इक दिन
चाहने वालों से तो पत्‍थर भी पिघल रहे हैं  ।।


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