यह सत्य-सनातन-धर्म-रीति, वैखरी-वाक् वर्णनातीत
विधि के हाँथों में पली-बढ़ी, विस्तारित इसकी राजनीति
इसके ही पूर्वज सूर्य-चन्द्र-नक्षत्र-लोक-पृथ्वीमाता
इसकी रक्षा हित बार-बार नारायण नर बन कर आता
कितना उज्ज्वल इतिहास तुम्हारा बात न यह बिसराओ ।।
हिन्दू तुम कट्टर बन जाओ ।।

हिन्दू समाज ने गुरु बनकर फैलाया जग में उजियारा
निष्‍कारण किया न रक्तपात पर दुश्‍मन दौड़ाकर मारा
मानव को पशु से अलग बना इसने मर्यादा में ढाला
इतिहास गढ़ा सुन्दर, रच डाली पावन वेद-ग्रन्थमाला
पाणिनि बनकर व्याकरण दिया, चाणक्यनीति भी समझाया
बन कालिदास, भवभूति, भास साहित्य-मूल्य भी बतलाया
जीवन के उच्चादर्शों का अब फिर से ज्ञान कराओ ।।
हिन्दू तुम कट्टर बन जाओ ।।

हिन्दू ने इस समाज को जाने कितने सुन्दर रत्न दिये
पर हा ! कृतघ्न संसार ! नष्‍ट हो हिन्दू सतत प्रयत्न किये
मासूम रहा हिन्दू समाज कसते इन छद्म शिकंजों से
कर सका नहीं अपनी रक्षा घर में बैठे जयचन्दों से
हिन्दू ने जब हिन्दू के ही घर को तोड़ा भ्रम में आकर
मुगलांग्लों ने सत्ता छीनी हमको आपस में लड़वाकर
घर के भेदी इन जयचन्दों को अब यमपुर पहुँचाओ ।।
हिन्दू तुम कट्टर बन जाओ ।।

काँपती धरा-दिग्पाल-गगन जब हिन्दू शस्त्र उठाता है
पार्थिव जीवों की क्या बिसात यम भी चीत्कार मचाता है
शड्.कर प्रलयंकर प्रलयदृष्टि सम हिन्दू तेज तप्त ज्चाला
जिसने असंख्य अत्याचारी अरि अगणित बार जला डाला
पर आज विवश हिन्दू समाज क्यूँ मुट्ठी भर हैवानों से
अपनी महिमा पहचान उठें, तलवार निकालें म्यानों से
"आनन्द" आज तुम इनके मानस को झकझोर जगाओ ।।
हिन्दू तुम कट्टर बन जाओ ।।

जेहाद नाम पर आज राक्षसों ने आतंक मचाया है
कुत्सित-मानस नेताओं ने उनका ही साथ निभाया है
निरपेक्ष-धर्म हो हिन्दु भ्रान्तियाँ ऐसी ये फैलाते हैं
भोले हिन्दू इसमें फँसकर अपनों से वैर मचाते हैं
पर नहीं फंसेगा अब हिन्दू इनके इन नीच बहानों से
हो सावधान ! मुगलांग्ल भीरु ! हिन्दू के तीर कमानों से
या फिरसे कृष्‍ण कह उठेंगे, भारत ! गाण्डीव उठाओ ।।
हिन्दू तुम कट्टर बन जाओ ।।


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