आजादी की लड़ाई के  महानायक जिन्होंने राष्ट्र की सोती हुई आत्मा को जगाने मात्र के लिए अपने प्राणों को आहुत कर दिया उन पूज्यनीय देशभक्त श्री भगत सिंह जी, राजगुरु जी और सुखदेव जी के बलिदान दिवस के अवसर पर मै अपने आसुओं के दो फूल अर्पित करता हूँ..
आज जाने क्यूँ मन करता है की काश हम इतने कृतज्ञ होते कि उनके बलिदान का महत्व  समझते
आज जिस तरह से लोग उनके बलिदानों पर भी राजनीति कर लेते हैं , डर लगता है की भारत कहीं फिर गुलाम ना हो जाये
और अगर ऐसा हुआ तो इस बार फिर कोई भगत सिंह बलिदान देने सामने नहीं आएगा

प्रिय भारतवासी मित्रों
निकलो संकीर्ण मानसिकता के दलदल से
हमें एकजुट होने की जरूरत है
ऐसा ना हो की हम तब जागें जब काल के दांत हमें चबा जाने को उद्यत हों

उपनिषद कहते हैं - उत्तिष्ठत  जाग्रत , प्राप्य वरान्निबोधत
वन्दे मातरम

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