बधाइयाँ जी बधाइयाँ
घर में लाला भयो है

आप सोच रहे होंगे मै किसके जन्मदिन की बात कर रहा हूँ

थोडा दिमाग लगाइए 
नहीं याद आया 
अजी अपने हनुमान लला का जन्मदिन है आज
चलिए आज श्री हनुमान जी के जन्मदिन पर उनके बचपन की एक खूबसूरत कहानी सुनाता हूँ


भगवान शिव के अंश और पवन देव के वेग से युक्त होने के कारन श्री हनुमंत लाल बचपन से ही अत्यंत बलशाली थे और बन्दर जाती में उत्पन्न होने के कारण स्वाभाविक चंचलता भी थी उनमे अतः वो प्रायः बालसुलभ क्रीडाएं करते रहते थे जिससे कभी कभी बड़ी समस्याएं भी पैदा हो जाया करती थीं
श्री बाल  हनुमान प्रायः ऋषियों के आश्रम में जाया करते थे और कभी उनके वस्त्र तो कभी घर की  अन्य वस्तुएं  उठा कर आकाश में जोर से उछाल  दिया करते थे.... जो चीज एक बार हवा में चली जाती थी वो वापस लौट कर धरती पर नहीं आती थी 
कभी कभी तो वो ऋषियों की कुटिया को ही एक जगह से उठा कर दूसरी जगह पर रख दिया करते थे
एक बार एक ऋषि एक बड़े वट वृक्ष के नीचे तप कर रहे थे जब बाल हनुमान ने पूरे वृक्ष को पर्वत के बड़े भाग सहित उखाड़  लिया और हवा में उड़ चले
काफी ऊंचाई पर पहुच जाने पर हवा के वेग के कारन मुनि का ध्यान भंग हो गया
उन्होंने खुद को आकाश में लटके हुए पाया
मुनि बहुत क्रोधित हुए
उन्होंने श्री हनुमान जी को उनका सारा बल भूल जाने का शाप दे डाला
घर आने पर हनुमंत बहुत शांत बैठे थे
उनको इस तरह बैठे देख माँ चिंतित हो गई और कारणों का पता लगाया
मुनि के शाप के विषय में जानकर वो घबरा गई
उन्होंने मुनि से याचना की 
द्रवित हो मुनि ने शाप में सुधार  किया
जब कोई इनके बल का ध्यान  कराएगा तो इन्हें अपना बल याद आ जाएगा 

जब माता सीता की खोज में मार्ग में  100 योजन का समुद्र पार करने की बात चली तो सबो ने अपनी छमता का वर्णन किया पर हनुमंत लाल चुप बैठे रहे
उनका ये भेद रीछराज  जाम्बवंत जानते थे अतः उन्होंने हनुमान जी को उनका बल याद कराया और आगे आप सब जानते ही हैं की कैसे  सौ योजन का समुद्र उन्होंने एक छलांग में पार कर लिया और माँ सिया की खोज कर लंका का दहन किया और रावन के साथ हुए घमासान में कितनो को यमलोक पहुचाया


इस तरह से श्री हनुमान जी के जन्मदिन के खाश मौके पर हमने उनके बचपन की रोचक वार्ता सुनी
अब चलो हनुमंत लला का जन्मदिन तो मना लें


श्री हनुमते नमः

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