Q.1- how do u see the naxalites in present time ?

महोदय नक्सलवाद आज भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है
इसे हम देश की गन्दी राजनीति का परिणाम मान सकते हैं
हर देश में कहीं ना कहीं दुर्व्यवस्था होती है पर उसका समाधान भी वहां की जनता और सरकार मिलकर ढूंढ ही लेते हैं
पर हमारे भारत में जहां सबके लिए समान अधिकारों की बात की जाती है वहीँ किसी ना किसी मामले में जनता के उत्पीडन के मामले सामने आ ही जाते हैं
नक्सलवाद भी इन्ही उत्पीड़ितों में से कुछ के द्वारा बगावत से उत्पन्न हुई समस्या है

Q.2- is this the right way of revolution ?

हालांकि हर बगावती ये मानता है की उसके द्वारा उठाया गया कदम ठीक ही है
उसे भी अपने अधिकारों के लिए  लड़ना चाहिए
पर ये लड़ाई किसके खिलाफ हो ये जरूर तय कर लेना चाहिए
मै नक्सलियों की इस बात का तो समर्थन करता हूँ की वो अपने अधिकारों के लिए लड़ें पर उनकी ये लड़ाई भारत सरकार के खिलाफ हो तो उचित है
इसमें निर्दोष जनता को प्रताड़ित करना कतई उचित नहीं है अतः मै नक्सलवादियों के इस तरीके से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हूँ
अपने अधिकार पाने के लिए पूरे समाज को दाँव पर लगाना कतई उचित नहीं है

Q.3-  naxal supporters says that there r social and economical discrimination  behind this , what\'s ur point ?


ये तो सही है की नक्सलियों में प्रायः वो लोग हैं जिन्हें या तो उनके अधिकार नहीं मिले या फिर जो समाज के अत्याचार के शिकार हुए हैं
पर कुछ लोगों के द्वारा उत्पीडन का दंड पूरे देश को तो नहीं दिया जाना चाहिए ना
अतः अगर नक्सलवादी अपनी इस गतिविधि के द्वारा न्याय की आशा रखते हैं तो ये उनका भ्रम है
हम सब भारतवासियों को मिलकर देश के उत्थान के बारे में प्रयत्न करना चाहिए न की अपनी कुछेक समस्याओं का हवाला देकर देश का अहित विचारें

Q.4- Few report says that naxalites r attached with         inernational terrorist group such as alkayda ?

जिस तरह आज नक्सलियों का व्यवहार है अगर वो किसी आतंकवादी संगठन से सम्बन्ध नहीं भी रखते हों तो भी वो किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं
इनके ह्रदय में मानव जाती के प्रति संवेदना बची
ही नहीं है
ये आज नर नहीं बल्कि नरप्रेत बन चुके हैं

Q.5- is this govt. failed to solve this problem ?


रही बात सरकार की तो कहना ही पड़ेगा कि संभवतः देश कि बागडोर अब हिजड़ों के हाथ पड गई है
हमारे देश का गृह मंत्री कहता है कि हम बुरी तरह से फाँस चुके हैं
जरा आप ही बताइये, जिस देश ने बड़े बड़े संग्राम जीते हों, जिसने अंग्रेगी हुकूमत कि ऐसी तैसी कर दी वो देश आज इतना लाचार है कि चाँद बागियों के आगे घुटने टेक दे रही है
क्या हम ये समझ लें कि अब हम नक्सलियों के गुलाम बनकर रहेंगे
दुर्भाग्य है देश का कि यहाँ वोट कि राजनीति के चलते अपने देश को भी बेंचने का दुष्कृत कर सकते हैं
इनसे क्या उम्मीद करें कि ये हमारी माँ बहनों कि रक्षा करेंगे
ये तो मौका पड़ने पर अपनी माँ को भी नीलाम कर देंगे

Q.6 - what step should taken bye govt to solve and assure the internal security ?


इतिहास गवाह है कोई भी युद्ध बिना हिंसा के नहीं जीता जा सका है
महाभारत काल में स्वयं श्री कृष्ण ने भी युद्ध को रोकने कि कोशिश कि पर देश के हित के लिए अंततः उन्होंने ही अर्जुन को रणक्षेत्र में गीता का ज्ञान सुनाया
अतः मेरे विचार से हो जाने देना चाहिए एक खुला नरसंहार
गांधीवाद से कोई समस्या न हल हुई है न हो सकेगी
रोज रोज दो चार मारें इससे अच्छा है एक ही बार में जितने मरने हों मर जाएं
कम से कम देश में शान्ति तो हो जाएगी
कल फिर कोई जिन्ना हमसे हमारे भारत का एक और अंग काटने को कहे ये हमें स्वीकार नहीं है
अब आप खुद ही तय करें हमें क्या चाहिए
एक आतंक रहित भारत या  फिर ...............
फैसला आपके हाथ में है
माँ भारती को फिर आज बलिदान की आवश्यकता है
अतः आइये मिल कर  देश की इस प्रबल समस्या का हल ढूंढें

सर्वे भवन्तु सुखिनः,  सर्वे सन्तु निरामयः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, माँ कश्चित् दुःख भाग भवेत् .......

जय हिंद

3 टिप्पणियाँ

  1. सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः
    Shri maan ji bharat sarkar agar amrican samrajvadiyo va desi poojipatiyo multinational ke isare par chalne lage to samasyao ka samadhan karane ke liye yeh lok me koi jagah nahi bachti hai aur punarjanm me viswas nahi hai to isi janam me nipatna padega.Desh ki rajdhani delhi me sadharan admee ko nyay nahi mil pa raha hai to aadvasiyo ki kya halat hogi.Unki bhookh ki jwala saant kerne ka upaay ker dijiye.Aap unke hisse ki jameen,hawa, pani tak chheen liya hai apka kanoon bade admee ke hito ke liye hi hai.Bhrast aur atyachaari balidaan nahi de sakte hai,Sirf baate banane se kaam nahi chalta hai.

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  2. आदरणीय सुमन जी
    आपकी भावनाओं की कद्र करता हूँ
    पर शायद आपने लेख को पूरा नहीं पढ़ा या फिर आपने एकांगी विचार किया है
    आप जिन आदिवासियों को रोटी कपडा देने की बात कर रहे हैं उनके ये अधिकार आम जनता ने नहीं छीने हैं
    आम आदमी खुद का परिवार का पेट पाल ले बड़ी बात है
    उन आदिवासियों का हक़ मारा है देश के भ्रष्ट और कुपंथी नेताओं ने जो आम आदमी को भी कुचलने में कसार नहीं छोड़ रहे हैं
    फिर इन नक्सलियों को क्या हक है की वो आम जिंदगियां तबाह करें
    अगर जोर आजमाईस करनी है तो भ्रष्ट नेताओं को मारें
    जनता उनका साथ भी देने को तैयार हो जाएगी
    पर शायद आपकी राय में उन आम आदमियों को मर जाना चाहिए जो पहले से ही अधमरे हुए हैं
    कुछ समाज के राजनीतिक गुंडे जीने नहीं दे रहे हैं
    ऊपर से नक्सलियों का खौफ
    अगर इसी तरह हर भूखा शस्त्र उठा ले तो भारत में भिखारियों की संख्या कम नहीं है
    और गर उन्होंने अपनी एक सेना बनाई तो पूरे भारत का जीना मुश्किल हो जाएगा

    आप ज्येष्ठ हैं अतः अगर हमारी बात बुरी लगे तो क्षमा कीजियेगा
    पर कहाँ का न्याय है की अपनी ही तरह परेशान लोगों का दर्द समझने के बजाय उनके ही दुश्मन बन जाएं
    कौन लौटाएगा रोज इस हिंसा में मरने वाले लोगो को और उन ७५ जवानो को जो इस बात से भी बेखबर थे की अगले क्षण उनको काल के गाल में जाना पडेगा

    जय हिंद

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  3. aapke wichar janokti par sakshatkar ke rum mein lga diya hai . jarur dekhiyega .


    aur sabhw ho to is mudde par aur logon ke wichar sakshatkar ke rup me hame mail karen .

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