जब चाहेंगे श्रीराम सकल जगजाल छूट जाएँगे - कवि 'आर्त' कृत काव्य
हम कोटि जतन कर लें, दु:खों से मुक्त न हो पाएँगे । जब चाहेंगे श्रीराम सकल जगजाल…
हम कोटि जतन कर लें, दु:खों से मुक्त न हो पाएँगे । जब चाहेंगे श्रीराम सकल जगजाल…
- ये जो काव्य मैं आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, ये काव्य कवि श्री अनि…
ये मेरा भतीजा है । मेरे दोस्त का बेटा ।। आप इसे देखेंगे तो हँसते-हँसते ल…
-- प्रभु ! फिर हो ऐसा परिवर्तन । कपट , स्वार्थ , मात्सर्य , त्यागकर शुद्ध…
आज सुबह-सुबह मेरे मस्तिष्क में चंद पंक्तियाँ उठीं और मैनें उन्हे काव्य का रू…
हम जब भी किसी की कानाफूसी कर रहे होते हैं या कोई ऐसी बात कर रहे होते हैं जिसे …