आज-कल के अखबार में प्राय: दो मुद्दे नियमित मिल जाते हैं । एक तो कसाब के प्रति राजनीतिकों की राजनीति का विषय और दूसरा भारत-पाकिस्‍तान वार्ता । इन दोनों ही मुद्दों पर भारतीयों की राय लगभग एक जैसी ही है । कोई भी सच्चा भारतीय ये नहीं चाहता कि किसी भी कीमत पर अजमल कसाब को किसी भी कीमत पर जीवन दान दिया जाए और मेरे मत से अब कोई भी भारतीय पाकिस्‍तान से वार्ता भी नहीं चाहता । चाहे भी क्‍यूं, एक तो वह है जिसने हमारे कितने ही भाइयों को मारा और अभी भी जेल में मजे कर रहा है और दूसरा इन जैसों का भारत के प्रति उत्‍पादन करने वाला देश है ।
कितनी ही बार भारत ने पाकिस्‍तान से बात का विकल्‍प खुला रखा, बातें हुई भी पर फिर वही ढाक के तीन पात  न कभी पाकिस्‍तान ने सीमा पार से आतंकवाद कम किया और न ही कश्‍मीर की मांग छोडी । हद तो तब हो गई जब मुंबई हमले के आरोपियों पर कार्यवाही करने के बदले उसने उल्‍टे ही कई आरोप भारत के ही सिर मढ दिये ।
अब इसे देश का दुर्भाग्‍य ही कहेंगे कि हमारे वरिष्‍ठ नेताओं को आज भी पाकिस्‍तान से उम्‍मीदें हैं । कुत्‍ते की जो पूंछ आज तक सीधी न हो सकी उसे ये सीधा करके ही छोडेंगे । जाने कब हम जगेंगे इस गलतफहमी की नींद से । आज पाकिस्‍तान, अमेरिका और चीन तीनों ही भारत का अहित करने की ताक में रहते हैं और मुश्किल हमारी ये है कि हम तो ठहरे गांधीवादी, न तो हम किसी को मारेंगे न ही किसी की मार का उत्‍तर देंगे । आखिर हम अहिंसक हैं, गर कोई एक थप्‍पड मारेगा तो हम दूसरा गाल भी दे देंगे । उसके हांथों मे गर हमें मारते समय दर्द हुआ तो हम उसे एक बढियां सा डन्‍डा दे देंगे । सब करेंगे पर सुधरेंगे नहीं ।

हमारे एक तरफ पाकिस्‍तान, एक तरफ बाग्‍लादेश और एक तरफ चीन- ये तीन देश हैं । बांग्‍लादेश की तो कह नहीं सकता पर बाकी ये दो देश हमारा भला तो नहीं ही चाहते । पाकिस्‍तान और चीन के रवैये से कोई भी नावाकिफ नहीं है। फिर जबकि हम जानते हैं कि पा‍क से सदियों तक भी गर बात जारी रखी जाए तो भी कुछ हांथ आनेवाला नहीं है तो फिर क्‍युं हम बार-बार पाक की बात मान लेते हैं ।

क्‍या हम इतने मजबूर है || अपनी आवाज उठाइये इसके पहले कि हम फिर गुलाम हो जाएं ।।

6 टिप्पणियाँ

  1. sir hamai sarkaar america ke paanv me pille ki tarah baithi hai...

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  2. गुलाम अभी भी हैं अप्रत्यक्ष रूप से... भारत को ही पाकिस्तान बनाने की तैयारियां चल रही हैं>..

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  3. अरे भय्या ये चीन ही है बस. तालेबान से लेकर माओवादियों तक सारी फौजें उन्हीं की हैं - तिब्बत से लेकर पेशावर तक और दंतेवाडा से लेकर इम्फाल तक इंसानियत को वही लहूलुहान कर रहे हैं इस उम्मीद में कि एक दिन सारी दुनिया को कब्जिया लेंगे. पाकिस्तान तो उनका एक अदना सा प्यादा है.

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  4. इस ढाक को भी किसी चाणक्य के द्वारा ही सही उपचार मिलेगा

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